हौज़ा न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज़रत आयतुल्लाह जवादी आमोली ने न्यायशास्त्र पर अपने व्याख्यान के अंत में फ्रांसीसी पत्रिका द्वारा प्रकाशित शिया और इस्लामी पवित्र चीजों का अपमान करने वाली सामग्री की निंदा की।
रिपोर्ट के अनुसार, फ्रांसीसी पत्रिका चार्ली हेब्दो के शिया और इस्लामी पवित्र स्थलों का अपमान करने वाली सामग्री के प्रकाशन के जवाब में उन्होंने कहा: (इस शैतानी पत्रिका का यह कदम) उस देश का अपमान है, जो अपशब्दों और कार्टून या कार्टून का उपयोग करता है, यह संभव नहीं है। हज़रत अमीर (अ) ने फ़रमाया: पत्थर को वहीं लौटा दें जहां से वह आया था। और एक दूसरी रिवायत मे फ़रमाया: "केवल नीच व्यक्ति ही अपमान जनक नीच गालियों की रोकथाम नहीं कर सकता"। इसलिए पत्थर को वहीं लौटा दो जहां से वह आया था। हज़रत अमीर अलैहिस्सलाम की स्पष्ट वाणी है कि इस्लाम भी इसी आधार पर आगे बढ़ रहा है।
लेकिन अब अगर कोई गाली देता है तो इस शख्स को जवाब में गाली नहीं दी जा सकती! हां, बेशक इसकी भरपाई दूसरे तरीके से करनी होगी, जो आखिर में सही होगी और विरोध या आपत्ति के रूप में हो सकती है, जो एक देश, एक राष्ट्र और एक व्यवस्था का सम्मान है, लेकिन किसी भी मामले में, मनुष्य घृणित कार्य और गलती का उत्तर एक अश्लील कार्य से नहीं दिया जा सकता है।
हम ईश्वर से इस इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए दुआ और आशा करते हैं!